भगवान शिव को सब जीवो का कल्याण करने वाला बताया गया है | हम यह जानते है की हिन्दू धर्म में पहले मूर्ति पूजा नहीं की जाती थी और ना ही जगह-जगह मंदिर होते थे | जब से बौद्ध धर्म के लोगो ने भगवान बुद्ध की मूर्ति बनाना और उनकी पूजा करना शुरू किया | उसके बाद हिन्दू भी मूर्ति पूजा करने लगे | लेकिन दुनिया में भगवान शिव ही ऐसे देवता है जिनके शिवलिंग और मूर्ति दोनों की पूजा की जाती है | आज हम आपको बताएँगे की आखिर क्यों भगवान शंकर के शिवलिंग की जाती है |
शिवलिंग दो शब्दों से मिलकर बना हुआ है पहला शिव, जिसका अर्थ है परम कल्याणी सर्वशक्तिमान | दूसरा शब्द लिंग है जिसका अर्थ है सर्जन करने वाला | शिवलिंग की पूजा के बारे में हिन्दू धर्म ग्रन्थ समुद्र मंथन की कहानी को बताते है | ऐसा कहा जाता है की जब सतयुग में समुद्र मंथन हुआ | उस समय समुद्र के गर्भ से विष भी निकला था | उस समय विष का जो भी सेवन करता, उसका अस्तित्व समाप्त हो जाता | इस कारण उसे धरती पर भी नहीं गिराया जा सकता था | क्योंकि धरती के गर्भ में विस्फोट हो सकता था |
उस विष को भगवान शिव ने ग्रहण किया | जिससे उनका गला नीला हो गया | इसलिए उन्हें नीलकंठ भी कहते है | ऐसा कहा जाता है की उस विष में बहुत ही अग्नि थी, जो शिवजी को काफी तकलीफ पहुंचाती है | इसलिए शिवलिंग को शंकर का दूसरा स्वरुप मानते हुये जल अर्पित किया जाता है | जिससे उस हलाहल का प्रभाव शांत रहता है |
लेकिन ऋषियों के द्वारा लिखा गया शिवपुराण इस बात का समर्थन नहीं करता है | शिवपुराण के अनुसार जब ब्रह्मा जी ने भगवान शिव से पूछा की आप दुनिया में सर्वशक्तिमान है, यदि आपको कोई शीघ्र प्रसन्न करना चाहे तो आप कैसे प्रसन्न होंगे | ब्रह्मदेव के इस सवाल का भगवान शिव ने जवाब दिया की शिवलिंग मेरा स्वरुप है | यदि कोई व्यक्ति मेरे शिवलिंग को जल अर्पित करता है तो मैं शीघ्र ही प्रसन्न हो जाऊँगा |
इसके अतिरिक्त यह दन्त कथा भी काफी प्रचलन में है की एक बार भगवान शिव एक बालक का रूप लेकर पृथ्वी का भ्रमण करने के लिए आये थे | उस समय भगवान शिव विचरण करते हुये नग्नावस्था में साधुओ के बीच चले गये | इस वजह से ऋषियों ने ऐसा श्राप दिया, जिससे शिवजी का लिंग टूटकर पाताल लोक चला गया |
इससे भगवान शिव को क्रोध आ गया और उन्होंने तांडव किया | उनके क्रोध से धरती का संतुलन बिगड़ गया | लेकिन किसी भी देवता का इतना साहस नहीं था की वह भगवान शिव के क्रोध के सामने जा सके | धरती पर हो रहे विनाश को रोकने के लिए सारे देवी-देवता माता पार्वती के पास पहुंचे | जहाँ उन्होंने एक शिवलिंग का निर्माण किया और उसे भगवान शिव मानकर जल अर्पित किया | इससे भगवान शिव का क्रोध शांत हो गया | इस दिन के बाद धरती लोक पर भगवान शिव का रूप शिवलिंग को मानकर उनकी पूजा की जाती है |